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इंटर-कास्ट मैरिज थी, तो शुरू में थोड़ी परेशानी जरूर हुई। घरवालों को मनाने के लिए मेहनत करनी पड़ी। सबसे पहले हमने दोनों के परिवार में उन लोगों से बात की, जो समर्थन में थे। उनकी रजामंदी मिली तो उन्हें ही बाकी परिवार वालों से बात करने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने ही घरवालों को मनाया। आखिर में सभी घरवाले माने और हम एक-दूजे के हो लिए।"

यह कहानी है मध्यप्रदेश के नीमच जिले में पदस्थ जावद SDM शिवानी गर्ग और नीमच जेल में पदस्थ सहायक अधीक्षक अंशुल गर्ग की। जितनी दबंग शिवानी गर्ग की कार्यशैली है, उतनी ही प्यारी इनकी 'लव स्टोरी भी' है। गुना में पोस्टिंग के दौरान शिवानी को 'भवानी' नाम से बुलाया जाने लगा था। ग्रुप में पढ़ाई के दौरान अनजाने में शुरू हुई यह प्रेम कहानी कई मोड़ों से होती हुई मुकम्मल हुई। वैलेंटाइन्स डे पर पढ़िए, दो अफसरों की प्रेम कहानी...

"हम सागर के रहने वाले हैं। बात वर्ष 2015 की है। मैं यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर थी। MPPSC की तैयारी भी कर रही थी। वर्ष 2014 में पहली बार PSC पेपर का पैटर्न चेंज हुआ था। एक ग्रुप था, हम लोग साथ में बैठकर पढ़ाई करते थे। रोज 6-7 घंटे पढ़ते थे। वहीं, हमारी मुलाकात हुई। पढ़ाई के दौरान पता ही नहीं चला कि कब हम एक-दूसरे को पसंद करने लगे। हम लोग बात करते थे। जब हमारा सिलेक्शन हो गया, तब हम लोगों को समझ आया कि एक-दूसरे को पसंद करते हैं। मतलब इंटरेस्ट एक जैसे हैं, सोच एक जैसी है। बातचीत हुई, तो पसंद करने लगे। फिर शादी की बात हुई। शादी की बात की तो, इंटर-कास्ट मैरिज है। थोड़े इशू तो होते ही हैं, लेकिन तब तक हमारा सिलेक्शन तो हो ही चुका था। घरवालों से बात की, उन्हें मनाया। थोड़ा समय जरूर लगा। ठान लिया था कि शादी करनी है। बहुत ड्रामेटिक स्टोरी जरूर नहीं है, लेकिन सबसे पहले हम लोगों ने पढ़ाई की, सिलेक्शन लिया, बाकी सब उसके बाद।"

ग्रुप में पढ़ाई के दौरान की स्थिति बताते हुए शिवानी कहती हैं कि "साथ बैठकर पढ़ाई करते थे। अंशुल सर हमें पढ़ाते थे। ग्रुप में हम 10-12 लोग आते थे। तब तक कुछ नहीं था। एग्जाम के बाद हम लोगों ने बात करना शुरू किया। दिसंबर 2016 में मैंने नौकरी जॉइन कर ली। अंशुल सर ने फरवरी 2017 में नौकरी शुरू की। पहली पोस्टिंग हम दोनों की बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हुई। महाकाल बाबा का आशीर्वाद लेकर घरवालों से बात की। वहीं पर हम लोगों ने सगाई की। इसके बाद 2018 में शादी की। यह आसान नहीं था, क्योंकि कुछ पारंपरिक मूल्य होते हैं, जिस वजह से थोड़ा विरोध तो होता ही है। हम लोगों की कहानी में एक चीज यह है कि हमने प्यार किया, शादी की, लेकिन उससे पहले पढ़ाई की। नौकरी हासिल की, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। हम लोग एक दूसरे को शायद पसंद तो करते थे, लेकिन ऐसे बात नहीं करते थे। जब सिलेक्शन हुआ। जब हम लोग अपने पैरों पर खड़े हो गए, फिर हम लोगों ने शादी करने का डिसाइड किया।

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